सनसनीखेज : जानिये म्यानमार की इन तस्वीरों और विडियो का भयानक सच

Loading…

संपादन विभाग, सोशल डायरी
म्यानमार रोहिंग्या मुसलमानों के कत्लेआम सम्बन्धी बिना जांच पड़ताल मुसलमानों द्वारा फैलाया फैलाई जा रही झूठी तस्वीरों और विडियो से भरा सोशल मीडिया मसलमानों के लिए ही घातक. म्यानमार में हो रहे मुसलमानों पर अत्याचार और उनके कत्लेआम को लेकर सोशल मीडिया पर मुसलमानों में काफी रोष दिखाई दे रहा है. इस रोष और गुस्से का फायदा उठाकर भारत की सांप्रदायिक ताकतों ने मुसलमानों को वह तस्वीरे और विडियो उपलब्ध कराई है जो फेक है, नकली है. ऐसी फेक तस्वीरों को वायरल करना खतरे की घंटी साबित हो सकती है और सांप्रदायिक तत्व उनके मकसद में कामियाब होने की संभावना है. सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वालो में लगभग 80 प्रतिशत अनपढ़ लोग होने का अनुमान लगाया जा सकता है. कम पढाई होने के कारण और भावुकता के कारण भ्रामक दिखाई देने वाली जानकारी काफी तेजी से वायरल हो जाती है. फेसबुक ट्विटर पर कई ऐसे लोग भी देल्हे जा सकते है जिन्हें हाई, हेल्लो, गुड नाईट इतना ही लिखना आता है वह भी तीन अक्षरों में चार गलतियों के साथ. गौरतलब है की, जिनको अपना नाम भी नहीं लिखना आता वह अलग-अलग किस्म की स्टाइलिस्ट तस्वीरे डालकर फॉलोवर जमा करने में कामियाब हो जाता है. और शिक्षा के अभाव के साथ भावुकता के कारण भ्रामक तस्वीरे और विडियो को धड़ल्ले से वायरल करने में कामियाब हो जाते है.

भ्रामक तस्वीरे तथा विडियो नौजवानों को जाने-अनजाने में साम्प्रदायिकता की और धकेलने में काफी होने के काराब बुद्धिजीवियों में यह चिंता का विषय बना हुआ है. सभी सोशल मीडिया के उपभोगताओं से अपील की जाती है की, ऐसी कोई तस्वीर, विडियो, जानकारी वायरल शेयर ना करे जिसके बारे में सच और झूठ की पुष्टि ना हुई हो. यह सच है के म्यानमार में मुसलमानों पर हो रहा अत्याचार इंसानियत को शर्मसार करने वाला है. इसका मतलब यह भी नहीं के उस मामले का शान्ति से विरोध करने के बजाये भ्रामकता फैलाई जाए. यह सरासर गलत है. “सोशल डायरी” टीम ने कई ऐसे विडियो और तर्विरो का जायजा लिया है. जिनमे से लगभग 80 प्रतिशत झूठे पाए गए है.

हम भ्रामक तस्वीरे तो आपको फिरसे हमारे ब्लॉग पर नहीं दिखा पायेंगे लेकिन यह 2 तस्वीरे जो आप देख रहे हो उनमे से एक तस्वीर सन 2012 की है जो “30 अक्टूबर 2012-001 भिक्षुओं-गिरफ्तारी-तिब्बतर्थमशला: सोमवार को तिब्बत के एक स्रोत के अनुसार, पूर्वी पुलिस ने पूर्व में तिब्बत के सोग्डज़ोंग काउंटी में कथित रूप से एक सेल फोन (आईफोन) होने के लिए तिब्बती भिक्षु को हिरासत में लिया है। यह खबर इस सप्ताह के दौरान स्थानीय तिब्बतियों के घरों को लक्षित करने के लिए बड़े पैमाने पर पुलिस छापे जाने के बाद सामने आई।” लिंक है. और दूसरी तस्वीर तुर्की के राष्ट्रपती एर्दोगान की पत्नी की है जो इस्तांबुल की है. लिंकजिसका म्यानमार से कोई सम्बन्ध नहीं.

loading…
CITY TIMES

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Cart

Your Cart is Empty

Back To Shop