सर्जिकल स्ट्राइक भी मुसलमानों की देन है, तुमने क्या दिया भक्तो-अंजली शर्मा

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सोशल डायरी स्टाफ
आज तुम जिस सर्जिकल स्ट्राइक का डंका बजा रहे हो, वह खालिद बिन वालिद की देन है -अंजली शर्मा
सोशल मीडिया पर आपको मुसलमानों ने किये हुए अच्छे कामो से रूबरू कराने वाले गैरमुस्लिम खूब मिलेंगे बनिस्बत मुस्लिम विरोधियो के. लेकिन मुस्लिम युवाओं में एक कमजोरी कहूँ या बेवकूफी यह पाई जाती है की, मुस्लिम विरोधी खबरों और पोस्ट को सबसे ज्यादा मुस्लिम ही वायरल करते है और वह भी फ्री. हालांकि कह्ब्रो के मुताबिक़ बीजेपी अपने आईटी सेल को फर्जी खबरे वायरल करने के 30 हजार रुपये महिना देती है. बीजेपी के 30 हजार रुपये बचाने का काम तो मुसलमान नहीं कर रहे है ना ? ऐसा सवाल पैदा होता है. आईये आपको एक बेबाक लेखिका से रूबरू कराते है उनके पोस्ट के साथ -संपादक
 
आज सर्जिकल स्ट्राइक का चारो तरफ डंका , उसकी ईजाद हज़रत खालिद बिन वलीद ने की थी !

खालिद बिन वलीद इस्लाम की पहली आर्मी के अज़ीम सिपहसालार रहे हैं…। उस ज़माने की दो सुपर पावर…बाज़नतिनी एम्पायर ( क़ैसर हरक्युलिस ) और शहंशाहे फारस ( क़िसरा उर्दशेर ) की अज़ीम फौजों को जिन्होंने धूल चटाई और दोनों महान साम्राज्य के अल्लाह के फ़ज़ल से परखच्चे उड़ा दिये…। इसी बहादुरी और शुजाअत को खिराजे तहसीन पेश करते हुए मुहम्मद साहब ने हज़रत खालिद बिन वलीद को “सैफुल्लाह” का खिताब अता फरमाया…।

नेपोलियन बोनापार्ट के मुताबिक… खुद वह भी खालिद के “फन्ने हरब व जरब” और उनके जंगी स्टाईल को स्टडी किया करता था और अपनी आर्मी को ट्रेनिंग दिलाया करता था…। खालिद बिन वलीद ने तीन हज़ार की फ़ौज़ से 2 लाख की फ़ौज़ को धुल चटाई थी…। #_सर्जिकल_स्ट्राइक_क्या_है? दरअस्ल सर्जिकल स्ट्राइक के माना ही यही है कि एक स्पेशल टीम चुनकर… मारो और भागो

खालिद बिन वलीद ने ५०० घुडसवारों की एक टकडी बनाई थी जिसको रेयर गार्ड कहा जाता था जिसका काम ही यही होता था कि हमला करो और पिछे हट जाओ, फिर हमला करो और हट जाओ जिनको आज कमांडोज या सर्जीकल स्ट्राइक जैसे काम करने वाला कहा जाता है…। खालिद बिन वलीद ने उस वक़्त की सुपर पावर मुल्क रोम और फारस को फतेह किया और इस्लाम का पलचम लहराया…। अपने आखिरी वक़्त में अपने साथी को बुला कर कहा बताओ मेरे जिस्म का वह कौन सा हिस्सा ऐसा है जहाँ जख्म नहीं फिर मुझे शहादत क्यों नहीं मिली..? साथी ने जवाब दिया आपको अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने “सैफुल्लाह कहा” यानी “अल्लाह की तलवार” भला अल्लाह की तलवार कैसे टूट सकती है..? अमीरुल मोमिनीन उमर फारूक़ के दौरे खिलाफ़त में अरब के लोगों को रोने की इजाज़त नहीं थी, जब खालिद बिन वलीद दुनिया से रुखसत हुए तो उमर फारूक़ ने कहा आज इजाज़त है अरब के लोगों को रोने की…।

खालिद बिन वलीद का पैगाम उम्मत ए मुस्लिमा के नाम… अगर मौत लिखी न हो तो मौत खुद ज़िन्दगी की हिफाज़त करती है, जब मौत मुकद्दर हो तो ज़िन्दगी दौड़ती हुई मौत से लिपट जाती है…। ज़िन्दगी से ज़्यादा कोई जी नही सकता, और मौत से पहले कोई मर नही सकता…। दुनिया के बुजदिलों को मेरा ये पैग़ाम पहुंचा दो कि अगर मैदाने जिहाद में मौत होती तो 100 से ज्यादा जंग लड़ब वाले खालिद बिन वलीद को इस तरह बिस्तर पर मौत न आती…।
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