सहारनपुर सवर्णों का गुंडाराज : दलितों की मुश्किल घड़ी में मुसलमान हैं साथ

सहारनपुर : उत्तर प्रदेश में सहारनपुर ज़िले के शिमलाना व उसके आस-पास के गांव में शुक्रवार को हुए जातीय संघर्ष के बाद स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है. दलितों का गुस्सा व विवशता उनकी आंखों में साफ़ तौर पर देखा जा सकता है. वहीं ठाकुर समाज भी सबक़ सिखाने के मौक़े तलाश रहा है. TwoCircles.net के इस संवाददाता ने आज इन गांव में जाकर इस जातीय संघर्ष की सच्चाई को समझने की कोशिश की.

शब्बीरपुर की चंद्रो 50 साल की है. इनका पति कल के बवाल में पूरी तरह घायल हो गए हैं और क़रीब के एक अस्पताल में दाख़िल हैं. चंद्रो के घर का कुछ हिस्सा भी जल चुका है. बक़ौल चंद्रो ठाकुरों ने हमारे घर को आग के हवाले कर दिया जिससे मेरा बिटोड़ा राख हो गया है. उन्होंने मेरे बच्चे को भी मारा.

चंद्रो बता रही है कि, ‘वो पूरी प्लानिंग के साथ आए थे. पहले तो वो एक मोटरसाईकिल पर तीन-तीन गये, फिर हल्ला मचाते हुए डीजे के साथ गये. फिर अपने हाथों में तलवार व हथियार लेकर आएं. पुलिस ने हमारी एक न सुनी, बल्कि वो भी अब एकतरफ़ा कार्यवाही ही कर रही है. इतना बोलते ही वो रो पड़ती है. फिर हिम्मत जुटाकर बोलती है, ‘सब सुन लेंगे फूलन बन गयी तो!’ क़रीब में ही एक और महिला छाती में हाथ मारकर कहती है, ‘फूलन बन जाऊंगी फूलन…’
लेकिन कुंवर अमित सिंह के मुताबिक़ सभी लोग शान्तिप्रिय तरीक़े से जा रहे थे. मगर शब्बीरपुर के प्रधान शिवकुमार जाटव रास्ते में कुछ लोगों को लेकर खड़े हो गए. हमने यह बात पुलिस को बताई. पुलिस ने कहा आप डीजे बन्द कर लो, गांव से बाहर निकल कर चला लेना. हम निकलवा देते हैं. जैसे ही हम आगे बढ़े पथराव शुरू हो गया और फ़ायरिंग होने लगी. हम जान बचाकर भागने लगें.

Shoppersstop CPV

वहीं राहुल श्रेष्ठ की बातें इनसे बिल्कुल अलग है. यह लोग डीजे पर शोर मचाते हुए पगड़ी बांधे और हाथों में तलवारे लेकर जुलूस निकाल रहे थे. जबकि यहां से कभी भी शोभा यात्रा नहीं निकली है. रास्ते में एक रविदासी मंदिर था, जहां इन्होंने तोड़फोड़ की और बाबा साहब की मूर्ति को नुक़सान पहुंचाया. जब इन्होंने दलितों के मोहल्ले में घुसने की कोशिश की तो महिलाओं ने पथराव किया. पुरुष तो सब काम पर गये हुए थे.

उनके मुताबिक़ पथराव के बाद यह बात आग की तरह फैल गई. आसपास के ठाकुर बहुल गाँवों में भीड़ इकठ्ठा होने लगी. फिर जो हुआ वो सबके सामने है.
अस्पताल में भर्ती घायल मदन भारती के मुताबिक़ 2000 से ज्यादा की भीड़ ने लगभग आधे घंटे बाद गांव पर हमला कर दिया. हमारे घर जला और बिटोड़ा फूंक दिए. बच्चा बूढ़ा जो मिला उसे मारा.  भीड़ हथियारों से लैस थी. पुलिस के आने तक हम तबाह हो चुके थे. पुलिस ने आकर हमें बचाया.

सच पूछे तो इस घटना के बाद से सहारनपुर के दलितों में भारी गुस्सा है. यह जनपद दलित बहुल है. जैसे ही यह ख़बर फैली है, दलितों में तनाव बढ़ने लगा है. नौजवानों में छटपटाहट होने लगी है. दलितों का आरोप है कि पुलिस भी एकतरफ़ा कार्यवाही कर रही है. बताते चलें कि कुछ दिन पहले अम्बेडकर जयंती को लेकर सड़क दुधली में बवाल हुआ था, जिसमें दलित व मुसमलान आपस में टकराए थे. हालांकि बाद में ये आरोप लगा कि भाजपा नेताओं ने एक साज़िश के तहत इन दोनों को आपस लड़वाया था.

लेकिन सड़क दुधली की बातों को भूलकर जनपद के लगभग सभी मुसलमान नेता इस समय दलितों के पक्ष में खड़े नज़र आ रहे हैं. दलितों की ही पिटाई और फिर उनकी ही गिरफ़्तारी को लेकर इमरान मसूद धरने पर बैठ गए हैं.  शाजान मसूद दलितों का हाल जानने सबसे पहले अस्पताल पहुंचे. लियाक़त अली, फिरोज़ आफ़ताब, फ़रहाद गाड़ा, फैज़ानुर्रहमान आदि तमाम मुस्लिम नेता दलितों के साथ हैं.

Shoppersstop CPV

पुलिस के मुताबिक़ अब तक 17 लोगों को गिरफ़्तार करके जेल भेजा जा चुका है और कई अन्य संदिग्ध लोगों की तलाश जारी है. बताते चलें कि दोनों पक्षों की ओर से आगज़नी और पत्थरबाज़ी की गई जिसमें दर्जनों घायल हुए तो वहीं सुमित सिंह नाम के एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है.

सहारनपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुभाष चंद्र दुबे के मुताबिक़ इस विवाद की असल वजह महाराणा प्रताप जयंती के उपलक्ष्य में निकाली जा रही शोभायात्रा है, जिसे रोकने की वजह से ये विवाद शुरू हुआ. बाद में पुलिस और अर्धसैनिक बलों के पहुंचने के बाद स्थिति पर नियंत्रण किया जा सका.

पुलिस के मुताबिक़ स्थिति नियंत्रण में है और शांतिपूर्ण है. लेकिन सच्चाई यह है कि इलाक़े में तनाव अभी भी बना हुआ है. ख़बर है कि रविवार को स्थिति का जायज़ा लेने के लिए राज्य के गृहसचिव देवाशीष पांडा और पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह भी सहारनपुर पहुंचने वाले हैं.

CITY TIMES

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *