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आदिवासियों, दलितों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं को सुरक्षा और इंसाफ कौन देगा ? अगर किसी आदिवासी या दलित के साथ बलात्कार हो जाय और अगर आप उस की मदद करेंगे, तो आपकी ज़िन्दगी बर्बाद हो जायेगी, कोर्ट, पुलिस सरकार सब आपके पीछे पड़ जायेंगे, इस मामले में कभी भी संविधान, कानून और लोकतंत्र पर भरोसा मत करना, मैं खुद भुक्तभोगी हूँ, मैंने चार आदिवासी लड़कियों की मदद करने की कोशिश करी थी, पुलिस वालों ने उनके घरों में घुस सामूहिक बलात्कार किये थे, मैंने कांग्रेसी गृह मंत्री पी चिदम्बरम को उन लड़कियों के बयान की सीडी दे दी, मैंने सोचा यह गृह मंत्री है तो पुलिस वालों पर कार्यवाही करेगा, लेकिन उस ने छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार के मुख्य मंत्री को वह सीडी दे दी, मुख्य मंत्री ने डेढ़ सौ सिपाही भेज कर चारों लड़कियों को दोबारा घर से उठवा लिया, और चारों लड़कियों के साथ फिर से सुकमा जिले के दोरनापाल थाने में पांच दिन तक सामूहिक बलात्कार करवाया, थाने में पांच दिन तक दुबारा सामूहिक बलात्कार करने के बाद पुलिस ने चारों लड़कियों को सामसेट्टी गाँव के चौराहे पर फेंक दिया और चेतावनी दी कि अब अगर हिमांशु कुमार से बात भी करी तो पूरे गांव को आग लगा देंगे,
मेरे साथियों को पुलिस ने जेल में डाल दिया, पुलिस ने मेरी हत्या की कोशिश करी, अंत में मुझे छत्तीसगढ़ से बाहर निकाल दिया गया, अब छत्तीसगढ़ में मेरे प्रवेश पर प्रतिबन्ध है, सहारनपुर में दलितों पर हमले का मामला उठाने पर कल मायावती को भाजपा के मंत्रियों ने संसद में बोलने नहीं दिया, सहारनपुर के मुद्दे पर तो सदन की कार्यवाही रोक कर चर्चा होनी चाहिए थी, लेकिन संसद में मुद्दा उठाने नहीं दिया जा रहा है, सोनी सोरी की योनी में पत्थर भरने वाला पुलिस अधिकारी भाजपा राज में तरक्की पर तरक्की पा रहा है, और सोनी सोरी का मुकदमा सुप्रीम कोर्ट में सात साल से लटक रहा है, राजस्थान की दलित महिला भंवरी देवी को सामूहिक बलात्कार के बाद बाईस साल तक न्याय नहीं मिला है, उनका मामला भी सुप्रीम कोर्ट में है, अगर संसद कोर्ट और थानों को आदिवासियों और दलितों पर ज़ुल्म करने और दबंगों की रक्षा के लिए ही बनाया गया है,
तो फिर इसे हम किस हसरत से जनता के लिए बनाई गयी संस्थाएं मानें ? आप कहते हैं नक्सली इसलिए गलत हैं क्योंकि वह संविधान को नहीं मानते, हम सरकार से पूछते हैं कि क्या आप मानते हैं संविधान को ? क्या सरकार का मतलब अमीर उद्योगपतियों के लिए ज़मीनों का इंतजाम करना और उनकी तिजोरियां भरना है ? जो आदिवासियों, दलितों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के लिए इन्साफ और हिफाज़त की बात करता है उसे दुश्मन मान कर उस पर हमला क्यों करती है सरकार ? आदिवासियों, दलितों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं को सुरक्षा और इंसाफ कौन देगा ?
(डिस्क्लेमर : हिमांशु कुमार ने यह आरोप लगाया और फेसबुक वाल पर साझा किया, सोशल डायरी का कोई सरोकार नहीं)
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