उत्तर प्रदेश में पिछले दिनों कुछ बूचड़खाने बंद कराए गए. सरकार का कहना है कि वो ‘अवैध’ रूप से चलाए जा रहे थे.
बूचड़खानों का ज़िक्र आने पर आम लोग जहाँ मानते हैं कि इस पेशे में एक ख़ास मज़हब और वर्ग के लोग ही काम करते हैं. हकीकत क्या है? भारत के 10 बड़े बीफ़ एक्सपोर्टर्स का संबंध हिंदू समुदाय से है. केंद्र सरकार के वाणिज्य मंत्रालय की संस्था कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (अपेडा) से मंजूर देश के 74 बूचड़खानों में 10 के मालिक हिंदू हैं. ‘बूचड़ख़ाने बंद हुए तो हिंदू-मुसलमान दोनों का जाएगा रोज़गार’
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अल कबीर भारत का सबसे बड़ा बीफ़ निर्यातक है
देश के सबसे बड़े और आधुनिक बूचड़खाने के मालिक ग़ैर-मुस्लिम हैं. अल कबीर देश का सबसे बड़ा बूचड़खाना तेलंगाना के मेडक ज़िले में रूद्रम गांव में है. तक़रीबन 400 एकड़ में फैले इस बूचड़खाने के मालिक सतीश सब्बरवाल हैं. यह बूचड़खाना अल कबीर एक्स्पोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड चलाता है. मुंबई के नरीमन प्वॉइंट स्थित मुख्यालय से मध्य-पूर्व के कई देशों को बीफ़ निर्यात किया जाता है. यह भारत का सबसे बड़ा बीफ़ निर्यातक भी है और मध्य-पूर्व के कई शहरों में इसके दफ़्तर हैं. अल कबीर के दफ़्तर दुबई, अबू धाबी, क़ुवैत, ज़ेद्दा, दम्मम, मदीना, रियाद, खरमिश, सित्रा, मस्कट और दोहा में हैं.
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दुबई दफ़्तर से फ़ोन पर बातचीत में अल कबीर मध्य पूर्व के चेयरमैन सुरेश सब्बरवाल ने बीबीसी से कहा, “धर्म और व्यवसाय दो बिल्कुल अलग-अलग चीजें हैं और दोनों को एक दूसरे से मिला कर नहीं देखा जाना चाहिए. कोई हिंदू बीफ़ व्यवसाय में रहे या मुसलमान ब्याज पर पैसे देने के व्यवसाय में रहे तो क्या हर्ज़ है?” अल कबीर ने बीते साल लगभग 650 करोड़ रुपये का कुल व्यवसाय किया था.
अरेबियन एक्सपोर्ट्स
अरेबियन एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लमिटेड के मालिक सुनील कपूर हैं. इसका मुख्यालय मुंबई के रशियन मैनशन्स में है. कंपनी बीफ़ के अलावा भेड़ के मांस का भी निर्यात करती है. इसके निदेशक मंडल में विरनत नागनाथ कुडमुले, विकास मारुति शिंदे और अशोक नारंग हैं. ‘अपवित्र’ मांस-व्यापार के ख़िलाफ़ ‘पवित्र अभियान’
एमकेआर एक्सपोर्ट्स
एमकेआर फ़्रोज़न फ़ूड एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के मालिक मदन एबट हैं. कंपनी का मुख्यालय दिल्ली में है. एबट कोल्ड स्टोरेजेज़ प्राइवेट लिमिटेड का बूचड़खाना पंजाब के मोहाली ज़िले के समगौली गांव में है. इसके निदेशक सनी एबट हैं.
अल नूर एक्सपोर्ट्स
अल नूर एक्सपोर्ट्स के मालिक सुनील सूद हैं. इस कंपनी का दफ़्तर दिल्ली में है. लेकिन इसका बूचड़खाना और मांस प्रसंस्करण संयंत्र उत्तर प्रदेश के मुजफ़्फ़रनगर के शेरनगर गांव में है.
इसके अलावा मेरठ और मुबई में भी इसके संयंत्र हैं. इसके दूसरे पार्टनर अजय सूद हैं. इस कंपनी की स्थापना 1992 में हुई और यह 35 देशों को बीफ़ निर्यात करती है.
एओवी एक्सपोर्ट्
एओवी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड का बूचड़खाना उत्तर प्रदेश के उन्नाव में है. इसका मांस प्रसंस्करण संयंत्र भी है. इसके निदेशक ओपी अरोड़ा हैं.
यह कंपनी साल 2001 से काम कर रही है. यह मुख्य रूप से बीफ़ निर्यात करती है. कंपनी का मुख्यालय नोएडा में है. अभिषेक अरोड़ा एओवी एग्रो फ़ूड्स के निदेशक हैं. इस कंपनी का संयंत्र मेवात के नूह में है. स्टैंडर्ड फ़्रोज़न फ़ूड्स एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड इसके प्रबंध निदेशक कमल वर्मा हैं. इस कंपनी का बूचड़खाना और सयंत्र उत्तर प्रदेश के उन्नाव के चांदपुर गांव में है. इसका दफ्तर हापुड़ के शिवपुरी में है.
पोन्ने प्रोडक्ट्सएक्सपोर्ट्स
पोन्ने प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट्स के निदेशक एस सास्ति कुमार हैं. यह कंपनी बीफ़ के अलावा मुर्गी के अंडे और मांस के व्यवसाय में भी है. कपंनी का संयंत्र तमिलनाडु के नमक्काल में परमति रोड पर है.
अश्विनी एग्रो एक्सपोर्ट्स
अश्विनी एग्रो एक्सपोर्ट्स का बूचड़खाना तमिलनाडु के गांधीनगर में है. कंपनी के निदेशक के राजेंद्रन धर्म को व्यवसाय से बिल्कुल अलग रखते हैं. वे कहते हैं, “धर्म निहायत ही निजी चीज है और इसका व्यवसाय से कोई ताल्लुक नहीं होना चाहिए.” राजेंद्रन ने इसके साथ यह ज़रूर माना कि उन्हें कई बार परेशानियों का सामना करना पड़ा है. कई बार ‘स्थानीय अधिकारियों ने उन्हें परेशान’ किया है.
महाराष्ट्र फ़ूड्स प्रोसेसिंग
महाराष्ट्र फ़ूड्स प्रोसेसिंग एंड कोल्ड स्टोरेज के पार्टनर सन्नी खट्टर का भी यही मानना है कि धर्म और धंधा अलग अलग चीजें हैं और दोनों को मिलाना ग़लत है. वो कहते हैं, “मैं हिंदू हूं और बीफ़ व्यवसाय में हूं तो क्या हो गया? किसी हिंदू के इस व्यवसाय में होने में कोई बुराई नहीं है. मैं यह व्यवसाय कर कोई बुरा हिंदू नहीं बन गया.”
इस कंपनी का बूचड़खाना महाराष्ट्र के सतारा ज़िले के फलटन में है. इसके अलावा हिंदुओं की ऐसी कई कंपनियां हैं, जो सिर्फ बीफ़ निर्यात के क्षेत्र में हैं. उनका बूचड़खाना नहीं है, पर वे मांस प्रसंस्करण, पैकेजिंग कर निर्यात करते हैं. कनक ट्रेडर्स ऐसी ही एक कंपनी है. इसके प्रोप्राइटर राजेश स्वामी ने कहा, “इस व्यवसाय में हिंदू-मुसलमान का भेदभाव नहीं है. दोनों धर्मों के लोग मिलजुल कर काम करते हैं. किसी के हिंदू होने से कोई फ़र्क नहीं पड़ता है.” वे यह भी कहते हैं कि बूचड़खाने बंद हुए तो हिंदू-मुसलमान दोनों को नुक़सान होगा.
बड़ी तादाद में हिंदू मध्यम स्तर के प्रबंधन में हैं. वे कंपनी के मालिक तो नहीं, लेकिन निदेशक, क्वॉलिटी प्रबंधक, सलाहकार और इस तरह के दूसरे पदों पर हैं.
प्रमोद मल्लिक
बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए
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