SocialDiary
लखनऊ, एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग फटकार लगाई है। दरअसल आपराधिक मामले में दोषियों के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध के मामले में स्पष्ट रुख न जाहिर करने पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को फटकार लगाई है।
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई व न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि इस मामले पर आयोग को अपना रुख स्पष्ट करना होगा, चुप्पी साधे रहना कोई विकल्प नहीं है। बता दें कि वर्तमान प्रावधान के मुताबिक, किसी सजायाफ्ता व्यक्ति के छह वर्ष तक ही चुनाव लड़ने पर पाबंदी है।
सु्प्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर चुनाव आयोग स्वतंत्र संवैधानिक प्राधिकरण है तो अपना स्वतंत्र नजरिया क्यों नहीं रख सकता। क्या वह अपना पक्ष रखने के लिए विधायिका के निर्देश पर निर्भर है। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई नौकरशाह दोषी ठहराया जाता है तो वह आजीवन नौकरी से बर्खास्त हो जाता है, लेकिन राजनेताओं पर छह वर्ष की पाबंदी क्यों? उन पर क्यों नहीं आजीवन प्रतिबंध लगना चाहिए। इस मामले की अगली सुनवाई 19 जुलाई को होगी।
मार्च में सम्पन्न हुए उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के 36 फीसदी विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (एडीआर) के अनुसार, 2017 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में चुने गए 403 में से 143 यानी 36 फीसदी विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। जिनकी अगर समय से सुनवाई हो तो ये विधायक जेल जा सकते हैं। 143 में से 83 विधायक भाजपा के हैं। 11 विधायक सपा के और 4 विधायक बसपा के और 1 विधायक कांग्रेस का और तीन निर्दलीय विधायक हैं।
loading…
यही नहीं उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य दोनों पर भी आपराधिक मामले दर्ज हैं। जोकि उन्होंने 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में दाखिल किए हलफनामे में बताए हैं। जिनमें हत्या जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। इनमें 302 (हत्या), 153 (दंगा भड़काना) और 420 (धोखाधड़ी) जैसे आरोप शामिल थे। अगर सुप्रीम कोर्ट दागी लोगों के चुनाव न लड़ने पर प्रतिबंध लगाया तो योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य को अपने पदों से इस्तीफा देना पड़ेगा और ये आजीवन चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। (साभार)
loading…
CITY TIMES