जिस तरीके से नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव का साथ छोड़कर बड़े ही नाटकीय ढंग से भाजपा से हाथ मिलाया और बिहार में सरकार बना ली उसको देखते हुए लग रहा है कि नीतीश की रह आसान नही होगी. नीतीश कुमार को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ऐसा फैसला आया है जिससे नीतीश कुमार की कुर्सी भी जा सकती है और अगर ऐसा हुआ तो ये बिहार राजनीति में और खलबली मचा देगा. क्योंकि जिस झटके में नीतीश कुमार ने लालू यादव का साथ छोड़ा है वो लालू और तेजस्वी को फूटी आँख नही सुहा रही है. आपको बता दें कि तेजस्वी ने सत्ता से बाहर होते ही नीतीश कुमार पर आरोप लगा दिया था कि नीतीश पर हत्या के आरोप हैं.
आपको बता दें कि बिहार उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर हुई थी जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विधान परिषद की सदस्यता को रद्द करने की मांग की गयी थी और उस याचिका पर सुनवाई के लिए कोर्ट राजी हो गया है. आपको बता दें कि इस याचिका में कहा गया है कि नीतीश कुमार ने अपने ऊपर चल रहे अपराधिक मामलों की जानकारी को छिपाया है और इसलिए इनकी विधान परिषद् की सदस्यता रद्द की जाये.
अधिवक्ता एम एल शर्मा द्वारा दायर की गयी इस याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अमिताव रॉय, न्यायमूर्ति दीपक मिश्र और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की पीठ ने कहा कि वह इसे देखेगी. आपको बता दें कि अगर नीतीश कुमार को लेकर दायर किये गये इस याचिका सुनवाई हुई और नीतीश दोषी पाए गये तो बिहार में उनके मुख्यमंत्री बने रहने के सपने को झटका लग सकता है.
31 जुलाई को दायर की गयी इस याचिका में आरोप लगाया है कि जदयू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ एक आपराधिक मामला है. आपको बता दें कि नीतीश कुमार साल 1991 में हुए ‘बाढ़’ लोकसभा सीट पर उपचुनाव के पहले कांग्रेस नेता सीताराम सिंह की हत्या था चार अन्य लोगों को घायल करने के मामले में आरोपी हैं.
याचिका दायर करने के साथ साथ कोर्ट से अपील की गयी है कि नीतीश कुमार पर FIR भी दर्ज हो. बता दें कि नीतीश कुमार ने साल 2012 को छोड़कर वर्ष 2004 के बाद कभी भी अपने खिलाफ चल रहे आपराधिक मामले की जानकारी नहीं दी चुनाव आयोग को नही दी जोकि गैर क़ानूनी है.
CITY TIMES
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