सैयर गेट इलाके के रहने वाले 82 साल के मदन मोहन यादव की सोमवार की दोपहर मौत हो गई थी. मदन मोहन को पूरे बुन्देलखण्ड में दाऊ समोसे वाले के नाम से जाना जाता था. उन्होंने आखिरी वक्त में कहा था कि यदि उन्हें दफनाए जाने पर कोई एतराज करे तो इसकी फिक्र मत करना. ऐसे में उन्हें सोमवार को जीवनशाह कब्रिस्तान में दफनाया गया.
उनके बारे में बताया गया कि उनकी माली हालत खराब थी. उन्होने मस्जिद के बाहर से समोसे बेचना शुरू किया था. जिसके बाद से उन्होंने जिंदगी में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. मदन ईद के मौके पर हर नमाज अदा किया करते थे. रोजे रखाकरते, कुर्बानी दिया करते थे. दाऊ शहर ईदगाह के पास बनी मजार पर नियमित रूप से जाते थे.
इस्लामिक तरीके से दफनाये जाने की वसीयत की वजह से उन्हें पुरे इस्लामिक रीति रिवाजों के साथ गुस्ल दिया गया. फिर उनको कफ़न-दफन किया गया. उनके जनाजे में बड़ी संख्या में गांव के हिंदू-मुस्लिम लोगों हिस्सा लिया.
जनाजे में हर कोई हैरान था कि एक हिंदू शख्स को मुस्लिम रीति-रिवाजों से कब्र में दफनाया जा रहा है. इस दौरान उनकी बीवी शकुंतला को भी उनके दफनाए जाने से कोई एतराज नहीं रहा. (कोहराम से साभार)