इस बार देवशयनी एकादशी 4 जुलाई 2017 को है। इस दिन से आरंभ होकर अगले चार महीनों तक के लिए विवाह, गृह प्रवेश आदि सभी शुभ मांगलिक कार्यों पर ब्रेक लग जाएगा।
शास्त्रानुसार व ज्योतिष गणना चक्र के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से कार्तिक पक्ष की एकादशी तक भगवान विष्णु का शयनकाल माना गया है। देवशयनी एकादशी पर देवताओं का शयनकाल आरंभ हो जाता है, जो देवउठनी एकादशी के दिन समाप्त होता है। इस बार देवउठनी एकादशी 31 अक्टूबर को है। इसी दिन से विवाह आदि शुभ कार्य किए जा सकेंगे। शादियों का सीजन भी इस साल 31 अक्टूबर से शुरू होगा।
देवताओं के इस शयन काल में देवी-देवताओं की आराधना, तपस्या, हवन-पूजन पर कोई रोक है, वरन इन्हें करने के लिए सर्वश्रेष्ठ समय माना जाता है। अतः इस दौरान धार्मिक अनुष्ठान, कथा आयोजन, पूजन व यज्ञ आदि किए जा सकते हैं।
देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी भी कहा जाता है
शास्त्रों की मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु पाता लोक में राजा बलिक के यहां चार मास पहरा देते हैं और इस दौरान शुभ कार्यों पर प्रतिबंध लग जाता है। देव उत्थान पर शुभ कार्य के लिए मुहूर्त की जरूरत नहीं होती, इस दिन सभी कार्य शुभ होते हैं और इस बार 31 अक्टूबर को देव उत्थान एकादशी है। देवशयनी एकादशी के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाते हैं। ऐसे में मुंडन, उपनयन संस्कार, भवन निर्माण, गृह प्रवेश और वैवाहिक संस्कार नहीं होते।