आप को अपनी बहादुरी का बहुत गर्व का अनुभव हो रहा होगा ?
आइये आपको एक धार्मिक बात बताता हूँ,
उस बच्चे के मरने से इस्लाम नहीं मरा, हिन्दू धर्म मर गया, यही जादू है अधर्म का, कि अधर्म आपको लालच देता है और आपके हाथों धर्म को मरवा देता है, मारना अधर्म है, बचाना धर्म है, मैं नहीं कहता संतों ने कहा है ‘परहित सरिस धरम नहीं भाई, परपीड़ा सम नहीं अधमाई’, और यह भी कहा कि विष्णुभक्त उसे समझना जो दुसरे की पीड़ा जानता हो, ‘वैष्णव जन ते तेने कहिये जे पीर पराई जाने रे’,
आर्नोल्ड टायनबी ने सत्रह सभ्यताओं का अध्यन करने के बाद लिखा था कि आने वाले समय में अगर दुनिया को बचना है तो उसे भारत की इस बात को मानना होगा कि ‘एकम सत विप्रा बहुधा वदन्ति’, यानी सत्य एक ही होता है, विभिन्न विद्वान उसे अलग अलग ढंग से बताते हैं, अरे तुम्हारा दावा तो दुनिया की सबसे उदार संस्कृति होने का था पर तुम क्या बन गए हो ध्यान दो, और तुम किनके कहने से क्रूर और जाहिल बन रहे हो ? ये वही लोग हैं जिन्होनें भगत सिंह की आलोचना करी थी, ये वही लोग हैं जिन्होनें अम्बेडकर के संविधान को जलाया था, ये वही लोग हैं जिन्होनें सुभाष चन्द्र बोस की आज़ाद हिन्द फौज से लड़ने के लिए अंग्रेजों की सेना में युवकों का भर्ती अभियान चलाया था,ये वही लोग हैं जिन्होनें कहा था कि अंग्रेजों के खिलाफ लड़ कर हमें अपनी शक्ति व्यर्थ नहीं करनी है,
यही वो लोग हैं जिन्होंने गांधी और नेहरु के खिलाफ घृणा अभियान चलाया और गांधी को प्रार्थना स्थल पर गोली मार दी, ये लोग ना आपके धर्म के दोस्त हैं ना देश के, ये लोग सेना के सैनिकों पर जन्तर मन्तर पर लाठियां चलवा रहे हैं, ये लोग पूरा खाना मांगने वाले सिपाही को बर्खास्त कर रहे हैं, ये लोग दलितों की बस्तियों पर हमले कर रहे हैं, ये लोग आदिवासियों के गाँव जला रहे हैं महिलाओं से बलात्कार करवा रहे हैं, सत्ता हासिल करने के लिए ये लोग देश में नफरत फैला रहे हैं, सोचिये इस रास्ते पर चल कर देश कहाँ पहुँच जाएगा ? ना आपका धर्म बचेगा, ना देश बचेगा, ना इंसानियत बचेगी, ये लोग तुम्हारा इस्तेमाल कर रहे हैं, तुम्हें जाहिल वहशी और मूरख बनाया जा रहा है, तुम्हें रोज़गार देना चाहिए था, सस्ती शिक्षा देनी चाहिए थी, बदले में तुम्हें दे रहे हैं गाय का गोबर और पाकिस्तान को गालियाँ देने का फालतू काम, अपना भविष्य इंसान के अपने हाथ में होता है, अपना भविष्य तुम क्या बना रहे हो उस पर ध्यान दो, वरना पछताने लायक भी नहीं रहोगे,