ब्राम्हणवाद से पीड़ित सैकड़ों दलितों ने अपनाया बौद्ध धर्म

नई दिल्ली। अपने ऊपर हो रहे अत्याचार से तंग आकर दलित समाज अब एकत्रित होने लगा है। सहारनपुर जातीय हिंसा के विरोध में 21 मई को दिल्ली के जंतर मंतर पर हजारों की संख्या में इक्कठा हुए दलितों ने इस बात को प्रमाणित भी कर दिया है।

अब यूपी के चरथावल से दलित एकता की बड़ी खबर आ रही है। सहारनपुर के शब्बीरपुर की घटना से नाराज चरथावल के न्यामू गांव के दलित समाज ने बड़ी संख्या में बौद्ध धर्म अपना लिया है। दलित समाज ने कुछ दिन पहले ही धर्म परिवर्तन की चेतावनी दी थी। ग्राम प्रधान लियाकत अली ने धर्म परिवर्तन की पुष्टि की है। पुलिस-प्रशासन को इस कार्यक्रम की भनक तक नहीं लगी। चरथावल क्षेत्र के न्यामू गांव में दलितों की संख्या 800 से ज्यादा है। सहारनपुर के गांव शब्बीरपुर में हुई जातीय हिंसा को लेकर गांव के दलित समाज के लोग नाराज चल रहे थे।

बुधवार को शामली के थानाभवन निवासी रोकी अंबेडकर के नेतृत्व के दलित समाज के लोगों की गांव में बैटक हुई। इसी में धर्म परिवर्तन का फैसला हुआ। इसके बाद गांव के ही रविदास मंदिर पर लार्ड बुद्धा सेवा समिति के बैनर तले आयोजित कार्यक्रम में सैकड़ों दलितों ने धर्म परिवर्तन कर बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया। दीक्षा लेने के बाद भीम नमो बुद्धाय के उद्घोष के साथ पथयात्रा निकाली गई। तभी गांव वालों को धर्म परिवर्तन का पता चला। रोकी अंबेडकर ने कुछ दिन पहले भी दलित समाज के लोगों के साथ चरथावल थाना घेरा था और भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर की रिहाई की मांग उठाई थी। भीम आर्मी के सदस्यों के खिलाफ दर्ज मुकदमें वापस लेने की भी मांग की गई थी। ऐसा नहीं करने पर धर्म परिवर्तन की चेतावनी दी थी।

गौरतलब है कि सहारनपुक के शब्बीरपुर जातीय हिंसा में दलितों के घर जला दिए गए थे। कई दलित बेघर हो गए थे। वहीं दूसरी बार बसपा सुप्रीमो मायावती के दौरे के बाद चांदपुर में दलितों पर आत्मघाती हमला किया गया था। इसमे एक व्यक्ति को गोली मार दी गई जबकि दो को धारदार हथियार से जख्मी कर दिया गया था। कई अन्य लोग भी बुरी तरह जख्मी हो गए थे।
CITY TIMES

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