कई जगह पर माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया. महाराष्ट्र के पिछले विधानसभा और राज्यसभा चुनाव में सिर्फ दो जिलो में पर्ची वाली मशीन लगाई गयी थी.
ईवीएम विदेश में बनती है जापान , जर्मनी, चीन जैसे देशो में वो देश ईवीएम मशीन हमें बेचते है उनका धंदा है लेकिन वह इस मशीन से चुनाव प्रक्रिया को अंजाम नहीं देते.
जब भारत के माननीय न्यायालय ने संदेह जताकर पर्ची की योजना लागू करने के आदेश निर्वाचन योग को दिए इससे बड़ा ईवीएम पर संदेह करने के लिए और कोई सबूत नहीं हो सकता.
चुनाव अधिकारी को खरीदकर भी ईवीएम में गड़बड़ी की जा सकती है, इसके भी सबूत मिले है. लेकिन बैलेट पेपर में ऐसी गड़बड़ी की तिलमात्र संभावना नहीं है. स्टाम्प लगाने के लिए काफी वक्त लग सकता है. मानलो 1000 वोट बढाने है और एक हजार कम करने है तो इसको करीब दो घंटे लग जायेंगे. लेकिन ईवीएम में यह काम मिनीटो में किया जा सकता है.
इस तरीके से कहीं ना कहीं वोटिंग माशीन में गड़बड़ी की गयी है. इसके कई सबूत है. गौरतलब है की, सबसे आधुनिक टेक्नोलोजी वाले देश जैसे जर्मनी, जापान, चीन में आज भी बैलेट पेपर से चुनाव को अंजाम दिया जाता है, प्रगतशील राष्ट्र होने से वह तो और भी अच्छी तकनीक वाली मशीन बना सकते है. लेकिन उन्हें यह भी अच्छी तरह पता है की मशीनों को हैक किया जा सकता है. इसी संभावना को मद्देनजर रखते हुए प्रगतशील राष्ट्रों में बैलेट पेपर का ही इस्तेमाल किया जाता है. तब भारतीय जनता ने भी बैलेट पेपर से चुनाव प्रक्रिया को अंजाम देने की मांग करनी चाहिए तब जाकर पारदर्शी चुनाव होंगे और सरकार जनता की होगी ना की ईवीएम की.
ईवीएम पर तभी से सवाल उठने लगे है जबसे ईवीएम लागू किया गया. कुछ लोगो का मानना है की, विपक्ष वाले ईवीएम के संदेह पर आवाज क्यों नहीं उठा रहे. तब इसका जवाब कुछ बड़े विद्वानों ने ऐसे दिया की, “आज जो विपक्ष में है वह पक्ष में ईवीएम में गड़बड़ी कर के ही थे अगर आज वह ईवीएम पर अन्देह जताते है तो आज का सत्ताधारी पक्ष उनकी पोल खोल सकता है”
कई इलाको में ऐसा भी हुआ है जहां प्रत्याशी (उमेदवार) को खुदका भी वोट नहीं मिला. रिश्तेदार, पत्नी, पती, माता-पिता ने वोट नहीं किया ऐसा अगर थोड़ी देर के लिए मान भी लिया जाए तो कम से कम उमेदवार अकेला तो खुदको वोट देगा ही ना ? फिर प्रत्याशी को खुदका वोट नहीं मिलना यह भी एक सबूत है