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हेमंत करकरे
हेमंत करकरे 1982 बैच के आईपीएस अधिकारी थे। उनका जन्म 1954 में हुआ था। हेमंत ने नागपुर के विश्वेश्वर रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज से डिग्री लेने के बाद देश की सेवा करने का निर्णय लिया था। आतंकी हमले के वक्त वे मुंबई एटीएस के प्रमुख थे। इससे पहले वे चंद्रपुर में नक्सल प्रभावित इलाकों में काम कर चुके थे। डॉ. के पी रघुवंशी से मुंबई एटीएस का पदभार स्वीकार करने से पहले वे नारकोटिक्स विभाग में काम करते हुए उन्होंने एक विदेशी ड्रग माफिया को गोरेगांव चौपाटी में मार गिराया था। वे रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के लिए सात वर्षों तक ऑस्ट्रिया में सेवा देकर महाराष्ट्र कैडर में दाखिल हुए थे। जनवरी में उन्हें एटीएस का प्रमुख बनाया गया था। 29 सितंबर 2008 को मालेगांव बम धमाके के आरोपियों को पकड़ने के लिए वे काम कर रहे थे। लेकिन दो महीने बाद ही कसाब व उसके साथी अन्य 9 आतंकियों की गोलीबारी में करकरे शहीद हो गए थे। इस हमले में मुंबई पुलिस ने अपना एक महत्वपूर्ण अधिकारी खो दिया।
हेमंत करकरे 1982 बैच के आईपीएस अधिकारी थे। उनका जन्म 1954 में हुआ था। हेमंत ने नागपुर के विश्वेश्वर रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज से डिग्री लेने के बाद देश की सेवा करने का निर्णय लिया था। आतंकी हमले के वक्त वे मुंबई एटीएस के प्रमुख थे। इससे पहले वे चंद्रपुर में नक्सल प्रभावित इलाकों में काम कर चुके थे। डॉ. के पी रघुवंशी से मुंबई एटीएस का पदभार स्वीकार करने से पहले वे नारकोटिक्स विभाग में काम करते हुए उन्होंने एक विदेशी ड्रग माफिया को गोरेगांव चौपाटी में मार गिराया था। वे रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के लिए सात वर्षों तक ऑस्ट्रिया में सेवा देकर महाराष्ट्र कैडर में दाखिल हुए थे। जनवरी में उन्हें एटीएस का प्रमुख बनाया गया था। 29 सितंबर 2008 को मालेगांव बम धमाके के आरोपियों को पकड़ने के लिए वे काम कर रहे थे। लेकिन दो महीने बाद ही कसाब व उसके साथी अन्य 9 आतंकियों की गोलीबारी में करकरे शहीद हो गए थे। इस हमले में मुंबई पुलिस ने अपना एक महत्वपूर्ण अधिकारी खो दिया।
अशोक कामटे
इस हमले में एक और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी शहीद हुए थे। ये शहीद अधिकारी अतिरिक्त आयुक्त अशोक कामटे थे। कामटे का परिवार पुणे पिंपले सौदागर के रक्षक नगर में रहता है। उनके पिता भी पुलिस में थे। कामटे 1989 आईपीएस बैच के अधिकारी थे। उनके परिवार में पत्नी के अलावा दो बच्चे हैं। कामटे अपने बैच में सबसे प्रभावशाली अधिकारियों में से थे। वे पलक झपकते ही समस्याओं का समाधान ढूंढ लेते थे। उन्होंने महाराष्ट्र के सोलापुर व सांगली में जबरदस्त काम किया था। इसके बाद उनका तबादला मुंबई में कर दिया गया था। दबंग व्यक्तित्व के कामटे 26 नवंबर की रात में आतंकियों से संघर्ष के दौरान शहीद हो गए। उल्लेखनीय है कि कामटे के पास सामान्य शस्त्र थे बावजूद वे आधुनिक हथियारों से लैस आतंकियों के साथ मेट्रो सिनेमा के बगल में जोरदार मुकाबला किया था।
इस हमले में एक और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी शहीद हुए थे। ये शहीद अधिकारी अतिरिक्त आयुक्त अशोक कामटे थे। कामटे का परिवार पुणे पिंपले सौदागर के रक्षक नगर में रहता है। उनके पिता भी पुलिस में थे। कामटे 1989 आईपीएस बैच के अधिकारी थे। उनके परिवार में पत्नी के अलावा दो बच्चे हैं। कामटे अपने बैच में सबसे प्रभावशाली अधिकारियों में से थे। वे पलक झपकते ही समस्याओं का समाधान ढूंढ लेते थे। उन्होंने महाराष्ट्र के सोलापुर व सांगली में जबरदस्त काम किया था। इसके बाद उनका तबादला मुंबई में कर दिया गया था। दबंग व्यक्तित्व के कामटे 26 नवंबर की रात में आतंकियों से संघर्ष के दौरान शहीद हो गए। उल्लेखनीय है कि कामटे के पास सामान्य शस्त्र थे बावजूद वे आधुनिक हथियारों से लैस आतंकियों के साथ मेट्रो सिनेमा के बगल में जोरदार मुकाबला किया था।
विजय सालस्कर
मुंबई हमलों में बहुत सारे बहादुर अधिकारियों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। ऐसे ही एक और बहादुर अधिकारी थे, विजय सालस्कर। विजय, मुंबई पुलिस में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के रूप में मशहूर थे। वे मुंबई पुलिस में वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक थे। सालस्कर ने अपने करियर में 80 अपराधियों को मार गिराया था। शहीद होने से पहले सालस्कर एंटी एक्सटॉर्सन सेल में इंचार्ज थे। मुंबई में शहीद होने के बाद 26 जनवरी 2009 को मरणोपरांत अशोक च्रक से सम्मानित किया गया था।
मुंबई हमलों में बहुत सारे बहादुर अधिकारियों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। ऐसे ही एक और बहादुर अधिकारी थे, विजय सालस्कर। विजय, मुंबई पुलिस में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के रूप में मशहूर थे। वे मुंबई पुलिस में वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक थे। सालस्कर ने अपने करियर में 80 अपराधियों को मार गिराया था। शहीद होने से पहले सालस्कर एंटी एक्सटॉर्सन सेल में इंचार्ज थे। मुंबई में शहीद होने के बाद 26 जनवरी 2009 को मरणोपरांत अशोक च्रक से सम्मानित किया गया था।
संदीप उन्नीकृष्णन
मुंबई पर आतंकी हमलों के दौरान एनएसजी कमांडो मेजर संदीप उन्नीकृष्णन और एमएसजी कमांडो हवलदार गजेंद्र सिंह भी आतंकियों के हमले में शहीद हुए थे।
मुंबई पर आतंकी हमलों के दौरान एनएसजी कमांडो मेजर संदीप उन्नीकृष्णन और एमएसजी कमांडो हवलदार गजेंद्र सिंह भी आतंकियों के हमले में शहीद हुए थे।
तुकाराम ओंबले
मुंबई में आतंकियों के हमले का कड़ा जवाब देने वाले पुलिस उपनिरीक्षक तुकाराम ओंबाले भी शहीद हो गए थे। हमले के दौरान ओंबाले चौपाटी पर ड्यूटी कर रहे थे। जब कसाब और उसके अन्य साथी हमला करते हुए यहां पहुंचे ओंबाले ने कसाब को पकड़ने का प्रयत्न किया था। हालांकि कसाब के साथियों ने ओंबाले पर खूब गोलीबारी की। लेकिन ओंबाले के साहस के कसाब को उसके साथी वहां से नहीं निकाल पाए और अन्य आतंकी घायल कसाब को वहीं छोड़ भाग निकले। कसाब जख्मी स्थिति में वहीं पड़ा रहा, ओंबाले की बहादुरी के कारण ही बाद में मुंबई पुलिस को कसाब को ज़िंदा हालत में पकड़ने में कामयाबी मिली। ओंबाले इस हमले में शहीद हो गए थे। बाद में अदम्य बहादुरी के लिए 26 जनवरी 2009 को तुकाराम को मरणोपरांत अशोक चक्र देकर एक शहीद का सम्मान किया गया।
मुंबई में आतंकियों के हमले का कड़ा जवाब देने वाले पुलिस उपनिरीक्षक तुकाराम ओंबाले भी शहीद हो गए थे। हमले के दौरान ओंबाले चौपाटी पर ड्यूटी कर रहे थे। जब कसाब और उसके अन्य साथी हमला करते हुए यहां पहुंचे ओंबाले ने कसाब को पकड़ने का प्रयत्न किया था। हालांकि कसाब के साथियों ने ओंबाले पर खूब गोलीबारी की। लेकिन ओंबाले के साहस के कसाब को उसके साथी वहां से नहीं निकाल पाए और अन्य आतंकी घायल कसाब को वहीं छोड़ भाग निकले। कसाब जख्मी स्थिति में वहीं पड़ा रहा, ओंबाले की बहादुरी के कारण ही बाद में मुंबई पुलिस को कसाब को ज़िंदा हालत में पकड़ने में कामयाबी मिली। ओंबाले इस हमले में शहीद हो गए थे। बाद में अदम्य बहादुरी के लिए 26 जनवरी 2009 को तुकाराम को मरणोपरांत अशोक चक्र देकर एक शहीद का सम्मान किया गया।
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