भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने में सबसे बड़ा रोड़ा मुसलमान नहीं बल्कि हिन्दू थे -हिमांशु कुमार

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गांधी अगर मुसलमान होते तो क्या तब भी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ उनकी हत्या करता ? नहीं बिलकुल नहीं,
संघ ने जिन्नाह की हत्या नहीं करी, संघ का मकसद भारत पाकिस्तान का बंटवारा रोकना नहीं था, संघ का मकसद भारत को अंग्रेजों के जाने के बाद हिन्दू राष्ट्र बनाने का था।
 
भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के रास्ते में सबसे बड़ा रोड़ा भारत के मुसलमान नहीं बल्कि भारत के उदारवादी हिन्दू थे। गांधी उदारवादी हिन्दू समुदाय के सबसे मुखर प्रवक्ता थे, याद रखिये संघ और हिन्दू महासभा ने मुस्लिम लीग की पाकिस्तान की मांग से एक साल पहले ही भारत के बंटवारे का प्रस्ताव पारित कर दिया था।
इसलिए जिन्नाह तो संघ की इच्छा ही पूरी कर रहे थे, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के निर्माणकर्ता भारत के परम्परागत शासक वर्ग थे, ब्राह्मण क्षत्रीय और वैश्य सवर्ण लोग जो सदियों से इस देश में सामाजिक धार्मिक और राजनैतिक सत्तावान थे। वह चाहते थे कि अंग्रेजों के जाने के बाद भी सत्ता इसी समूह के हाथों में रहे इसके लिए भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाना ज़रूरी था।

लेकिन कांग्रेस ने आंबेडकर साहब को संविधान सभा का अध्यक्ष बनाया और एक ऐसा संविधान बना दिया जिसमें सभी धर्मों को बराबर माना गया और सभी जातियों की बराबरी को संविधान की आज्ञा बना दिया, इसलिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ आजादी के बाद भारत के संविधान को जलाता रहा, तिरंगे को जलाता रहा, भारत को हिन्दू राष्ट्र बनने से रोकने का काम मुसलमान नहीं कर सकते थे, क्योंकि वह अल्पसंख्या में थे, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के हिन्दू राष्ट्र के सपने के सबसे बड़े दुश्मन इस देश के धर्म निरपेक्ष हिन्दू थे, गांधी उस समुदाय के सबसे बड़े प्रवक्ता थे, इसलिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने गांधी को अपना सबसे बड़ा दुश्मन माना, और आजादी के बाद अपने हिन्दू राष्ट्र के सपने को पूरा करने के लिए सबसे पहले गांधी की हत्या कर दी।
आज भी आप देखेंगे कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के हत्यारे हिन्दू बुद्धिजीवियों की ही हत्या करते हैं, क्योंकि इनके रास्ते के सबसे बड़ी अड़चन धर्मनिरपेक्ष हिन्दू ही हैं। संघ का सपना है कि एक दिन सभी हिन्दू एक साथ आ जायेंगे और फिर भारत हिन्दू राष्ट्र बन जाएगा। लेकिन प्रगतिशील, बुद्धीजीवी, और उदारवादी सोच के हिन्दुओं की वजह से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का सपना पूरा नहीं हो पा रहा है, इसलिए प्रगतिशील, बुद्धिजीवियों के प्रति अपनी नफरत को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ समय समय पर प्रगट करता रहता है, इसी लिए जेएनयू या अन्य समझदारी और उदारवादी सोच पैदा करने वाली जगहों पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ हमले कर रही है और उन्हें बंद करने के लिए पूरी ताकत लगा रही है |

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