नांदेड : अशोक चव्हान का जनाधार ख़त्म, अब तीसरे विकल्प की खोज में दलित-मुस्लिम

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सोशल डायरी ब्यूरो
नांदेड महानगरपालिका चुनाव की तयारियाँ सभी पार्टियों की ओर से जोरो पर चल रही है. हर पार्टी अपने-अपने तरीके से मतदाताओं को लुन्हाने में लगी है, 5 साल तक जिन मतदाताओं ने नगर सेवकों (अपवाद छोड़कर) के घर और कार्यालयों के चक्कर काटे अब कुछ दिनों तक के  लिए नगरसेवक मतदाताओं के घरों के आसपास नजर आने लगे है. लगो से उनकी समस्या पूछी जा रही है. लोगो से मिलना जुलना शुरू है. ऐसा प्रतीत हो रहा है के हर मोहल्ले में हर रोज ईद हो रही है. गौरतलब है की, नांदेड महानगरपालिका चुनाव पर महाराष्ट्र की नजर है. वह इसलिए के नांदेड कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अशोक चव्हान का गढ़ कहलाता है. लेकिन जमीनी जायजा लेने पर पता चलता है की नांदेड के अनुसूचित जाती, जनजाति तथा मुस्लिम तीसरे मोर्चे को तलाश रही है. अशोक चव्हान का जनाधार कम होता दिखाई दे रहा है. कार्यक्रमों में भारी संख्या में लोगो की उपस्थिति जनाधार को नहीं दर्शाती, अगर ऐसा होता तो महाराष्ट्र में राज ठाकरे की सत्ता होती. क्यूंकि महाराष्ट्र में राज ठाकरे को सुनने के लिए रिकॉर्ड ब्रेक लोग आते है. लोगो का आना जनाधार साबित नहीं करता. इस विषय पर उच्च शिक्षित सामाजिक कार्यकर्ता ने अपने विचार रखे है.

आज के रोज़नामा यकीन में तीसरे महाज़ के बारे में ये आर्टिकल लिखा है. लेखक फ़िक्र को समझा जासकता है के सेक्युलर वोटो की तकसिम से बीजेपी को फायदा होगा इसलिए तीसरा महाज़ या आघाडी न बनाई जाए, लेकिन उनका ये इलज़ाम लगाना बिलकुल आदर्श चव्हाण स्टाइल में के इस महाज़ को बीजेपी फ़ंड कर रही है, ये उसी तरह है के देश में मजलिस को अमित शाह फ़ंड कर रहें हैं. हर वक्त जब भी कोई तहरीक कांग्रेस के विरोध में भाजपा के विरोध में बनती है तो उससे कुछ राजनैतिक विश्लेषक बीजेपी या कांग्रेस की B-team कहते हैं. इस बौखलाहट की वजह ये है के इन दोनों पार्टियों के मुतबादिल/Alternate के तौर पर जब भी कोई सामने आता है तो अव्वाम ने उसको साथ देकर ये साबित किया है के अगर कोशिश मुख्लिस और ईमानदार होतो अव्वाम ऐसी कोशिश को पसंद करती है.

पर अब कुछ सवाल है जिसका जवाब बीजेपी से डराने वालों को भी देना जरूरी है ??
१. क्या ये सही है के देवेंद्र फडणवीस और अशोक चव्हाण की सेटिंग होगई है यही वजह है के आदर्श घोटाले पर कोई कारवाही नहीं होरही है खुद अपने घर के ख़ास लोग बीजेपी में जाने से बचाने में वो विफल हुए है या उन्होंने जान बूझकर भेजा हैं ?? होसकता है के देश भर में कांग्रेस की गिरती साख से वो खुद अगला लोकसभा चुनाव भाजपा के टिकट से लड़ें !!!

2. आज खुद कांग्रेस के कई seating हिंदु नगरसेवक बीजेपी ज्वाइन कर चुके हैं या बीजेपी से सीधे संपर्क में है, जिससे अशोक चव्हाण का हिंदु इलाको में जनाधार पूरी तरह खत्म होगया है, यही वजह है अब तक अशोक चव्हाण के दो दर्जन से ज़्यादा कार्यक्रम, इफ्तार पार्टी ईद मिलाप और “मुस्लिम Intellectual मीटिंग” मुस्लिम बहुल इलाकों में हुई है ? तो फिर किया अशोक चव्हाण सिर्फ मुसलमानो के वोट काटने की साज़िश के लिए काम कर रहें हैं ?

3. मजलिस का हाल भी जैसा के सादिक साहब ने खुद लिखा है के वह अपनी साख बचाने की आखरी कोशिश कर रही है. मजलिस का फॉर्म ऐसे मासूम बचो ने भी भरा है जिन का अबतक राशन कार्ड भी नही बना होगा ये हालत सच में होगई है.
4. राष्ट्रवादी का खुद का अस्तित्व सिर्फ खड़कपुरा में गफ्फार खान साहब और शिला कदम को छोड़ दें तो कोई और इलाके में इतना प्रभावी नही है.

5. ऐसे में अगर नांदेड़ शहर के कुछ बेबाक लोग तीसरा महाज़ बनाते हैं तो मेरा मानना है के पहले तो इन्हें सलाम करना चाहिए के उन्होंने नांदेड़ की सेक्युलर अव्वाम जोके सिर्फ अब मुसलमान ही रह गए हैं इनके सामने एक नया Alternate दिया है और अशोक चव्हाण को खुली टक्कर दी है.
6. अगर अशोक चव्हाण सच में हिंदु-मुस्लिम के नेता है तो वो बाकी की 81सीट्स में से 55 सीट जिसमे मुस्लिम वोट नही के बराबर है वहां से शानदार कामियाब होकर दिखाएं नहीं तो सिर्फ मुस्लिम वोट की तरफ देखना बेईमानी है. बीजेपी से मुसलमानो को डराने से कुछ फायदा नही है. मुझ जैसे नांदेड़ में हज़ारो की नज़र में बीजेपी और कांग्रेस एक ही सिक्के के दो पहलु हैं. जो देश में होरहा है उसको हमारे कांग्रेसी नगरसेवक जो के नाली साफ़ नहीं करा सकते हैं जो दो लाइन का भाषण ठीक से नहीं दे सकते हैं उनके कंधे देश के हालात को सुधारने की उम्मीद भी करना सरासर गलत होगा.
अगर कांग्रेस को लगता है के मुस्लिम इलाको में कांग्रेस को इनसे नुक्सान होसकता है तो बीजेपी का डर बताये बिना इस महाज़ से अच्छे उम्मीदवार उस इलाके से देकर इसका राजनैतिक मुकाबला करने मैदान में आना चाहिए.
उबैद-बा-हुसैन
सामाजिक कार्यकर्ता, नांदेड
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