कैसे हुआ यह जादू कि इतने करोड़ लोग मूर्ख बने रहे, और आज भी बन रहे हैं, ऐसा कीजिये किसी खुली टोकरी में कुछ केंकड़े रख दीजिये, देखिएगा उनमें से एक भी केंकड़ा निकल कर भाग नहीं पायेगा, क्योंकि जैसे ही कोई एक केंकड़ा आज़ाद होने के लिए ऊपर चढ़ेगा, दुसरे केंकड़े उसकी टांग पकड कर वापिस टोकरी के भीतर गिरा लेंगे, और इस तरह आपके सारे केंकड़े टोकरी में ही बने रहेंगे, गुरमीत राम रहीम के डेरे का कोई भी भक्त जब डेरा छोड़ना चाहता था तो बाकी के भक्त उसकी जान के दुश्मन बन जाते थे, इसके अलावा पूरा परिवार ही भक्त बनता था,
व्यक्ति अपने परिवार से प्रेम के चलते परिवार का मन रखने के लिए गुरमीत राम रहीम का भक्त बना रहता था, मैं जब हिन्दू पंथ में फ़ैली कट्टरता और साम्प्रदायिकता के बारे में लिखता हूँ, तो मेरा विरोध कई सारे हिन्दू करते हैं, वो कहते हैं कि तुझे सारी बुराइयां हिन्दुओं में ही नज़र आती हैं ? और उसके बाद मेरे सामने मुसलमानों की बुराइयों की एक लम्बी लिस्ट रख दी जाती है और कहा जाता है कि इस पर बोल कर दिखा, कुछ लोग आकर कहते हैं कि हिन्दू इतने ही बुरे हैं तो अपना नाम बदल ले,
हम अपने सम्प्रदायों की गुलामी को ही धर्म समझ बैठे हैं, धर्म का नाम हिन्दू या मुसलमान नहीं है, दुनिया में धर्म तो एक ही हो सकता है, वह है इंसान का धर्म, हिन्दू मुसलमान सम्प्रदायों का नाम है, पूजा नमाज़, व्रत, रोज़ा, उपवास, टोपी, चोटी, दाढ़ी, बुरखा, घूँघट, बकरा, गाय, अरबी, संस्कृत का सम्बन्ध धर्म से है ही नहीं, जो लोग जिस सम्प्रदाय में पैदा हुए हैं और उसकी कुरीतियों के खिलाफ लिख बोल रहे हैं, वही लोग उस सम्प्रदाय के लोगों को अज्ञान से बाहर निकाल सकते हैं,
दुसरे के सम्प्रदाय की बुराई देखने से आपका कोई फायदा नहीं होगा, जो मुसलमान लोग, हिन्दू सम्प्रदाय की बुराइयां देखते हैं इससे उनका अपना कोई भी फायदा नहीं होने वाला, इसी तरह जो हिन्दू लोग, मुसलमानों की बुराइयां खोजते रहते हैं वो हिन्दुओं का कोई भला नहीं कर रहे, भला तभी होता है जब आप अपनी कमी खोजते हो और उसे दूर करने की कोशिश करते हैं, मैं अपने मुस्लिम लेखक दोस्तों द्वारा मुसलमानों की कमियों पर लिखी गई किसी भी पोस्ट पर कभी कमेन्ट नहीं करता, क्योंकि उससे मुसलमान डर सकते हैं कि देखो ये हिन्दू लोग हमारी मज़ाक बना रहे हैं,
इसी तरह से अगर हिन्दुओं की कुरीतियों के खिलाफ लिखी गई किसी पोस्ट पर मुसलमान आकर समर्थन में कमेन्ट करते हैं तो उससे हिन्दू डर जाते हैं कि देखो मुसलमान हमारी मज़ाक बना रहे हैं, इसलिए आपके अपने फायदे में यही है कि अपने बीच फ़ैली हुई बुराइयों को खोजिये और उन्हें जितनी जल्द हो छोड़ दीजिये, इसी में आपके समुदाय का फायदा है, दुसरे सम्प्रदायों की बुराइयां खोज कर खुद को ऊंचा समझने में इस दुनिया ने कई हज़ार साल बर्बाद कर लिए हैं, गुरमीत राम रहीम के चेलों जैसे मत बनिये जो अपनी बुराइयों को देखने में असमर्थ हो गए और अपने गुरु पर लगे बलात्कार के आरोप से गुस्सा होकर शहर में आग लगाने और दूसरों को मारने के लिए निकल पड़े थे,
(हिमांशु कुमार के निजी विचार उनके फेसबुक वाल से साभार)