हैरत में पड़े वैज्ञानिक : आज की हुई खोज तो 14 सौ साल पहले कुरआन में दर्ज है


कुअरान एक मुक़द्दस किताब है, और यह किताब अल्लाह की ओर से ही नाजिल हुई है इसमें कोई शक नहीं. दुश्मनाने इस्लाम भी इस बात को स्वीकार करते है. फिर उन्होंने इस्लाम क्यूँ नहीं स्वीकार किया यह सवाल उठाता है. इस्लाम सब के बस की बात नहीं, हिदायत अल्लाह देता है. अबू लहब जैसे भी कुछ लोग है जिन्होंने हजरत मुहम्मद (स.) के करीबी रिश्तेदार होते हुए भी  इस्लाम स्वीकार नहीं किया. लेकिन जब इस्लाम स्वीकार करने का वक्त आया तो उनका घमंड उनके सामने उन्हें रोके हुए था. आपको बता दे की आज इस आयत पर गौर करें से क्या-क्या बात सामने आती है.


समुंदर की तल में नदी बहती है
समुंदर वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया है कि समुंदर के भीतर बहुत गहराई में नदी बहती है , यह नदी नीले रंग की होती है और इसकी सांद्रता ( density ) बहुत अधिक होती है और यह बहुत दूर तक बहती है,इस नदी की गहराई 40, मीटर तक है, समुंदर विशेषज्ञों का कहना है कि हालांकि यह नदी हज़ारों वर्षों से अस्तित्व में है परंतु इसके आकार में परिवर्तन नहीं हुआ है और समुंद्र का दूसरा पानी इस नदी के पानी में नहीं मिल पाता, क्योंकि इन दोनों पानी की सांद्रता भिन्न होती है, और इसके अतिरिक्त कुछ भौतिक नियमों के कारण यह दो प्रकार के पानी एक दूसरे के साथ बहते हुए चलते हैं परन्तु एक दूसरे में नहीं मिल पाते, आश्चर्यजनक बात है कि इस प्रकार की जटिल और रहस्यमयी समुंद्र में बहुत गहराई में होने वाली घटना को कुरान की पवित्र आयतों में चिन्हित किया गया है, अर्थात कुरान में यह सूचना 1400 वर्ष पहले पहले लिखी गई है जबकि आज के समय में यह सूचना समुंद्र वैज्ञानिकों को प्राप्त हुई है,

कुरान की सूरह अर रहमान पाठ संख्या 55 की आयत संख्या 19- 20 में लिखित हैै कि:

19) उसने चलाये दो दरिया मिलकर चलने वाले। (20) दोनां के बीच एक पर्दा (रोक) है जिससे वह आगे नहीं बढ़ते।

इतने स्पष्ट उदाहरण के बाद अल्लाह में विश्वास करने वाला केवल यही बोलेगा कि:

निश्चित ही सारी प्रशंसा केवल केवल और केवल एक अल्लाह के लिए हैं,


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