SocialDiary
ये हैं मेरे भाई अयूब ख़ान. ये महाराष्ट्र के भुसावल में रहते हैं. इनकी थ्रीव्हीलर स्पेयर पार्ट्स की दुकान है. आज से तेइस साल पहले, 1994 में, महाराष्ट्र पुलिस ने इनको आतंकवाद के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया था. TADA के अंतर्गत इनपर आरोप लगाया कि ये कश्मीर में आतंकवाद की ट्रेनिंग लेने गए थे. चार महीने जेल में रहे थे. तब से ज़मानत पर हैं. इनके मुक़दमे में चार्जशीट दाख़िल हो चुकी है. इस केस में ये अकेले नहीं फंसाए गए. कुल ग्यारह मुसलमान फंसाए गए हैं. सभी चार-चार महीने जेल रहे ज़मानत मिलने के पहले. सुनवाई शुरू होना तो दूर की बात है आज तक अदालत ने इनकी चार्जशीट को स्वीकृति ही नहीं दी है जिसके बग़ैर मुक़दमा ही नहीं चल सकता है. अगर ये वाक़ई आतंकवादी होते तो ये ख़ुश होते की मुक़दमे से बचे हुए हैं. लेकिन ये तो सालों से अदालत से कहते आ रहे हैं कि, भाई, मुक़दमा चलाओ जिससे हमें इन आरोपों से मुक्ति मिले. हार कर इन लोगों ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि इनका मुक़दमा हर हाल में एक साल के भीतर पूरा किया जाए. इस आदेश को सितंबर में एक साल हो जाएगा. निचली अदालत ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी अनसुना कर दिया है और अब तक स्थिति जस-की-तस है. अब क्या करें?
रविवार, 10 जुलाई को फ़र्ज़ी आतंकवाद में फंसाए मुसलमानों के संबंध में महाराष्ट्र के जलगांव में एक जनसभा में मेरी तक़रीर थी. वहां से जब हम भुसावल ट्रेन पकड़ने आए तो अयूब भाई हमें ट्रेन में बैठाने आए. वहां उन्होंने ये दास्तान सुनाई.
क्या अयूब भाई के साथ जो हो रहा है इसलिए सही है कि वो मुसलमान हैं और आपकी निगाह में मुसलमान बहुत ख़राब लोग होते हैं?
अजित सही इनके पोस्ट पर बुद्दिज्वी लिखते है……
Jayantibhai Manani –
देश में जाति, लिंग और कोम के आधार पर व्यवहार चलता है. देश के कानून और संविधान की धज्जिया शासन, प्रशासन और न्यायतंत्र में उड़ाई जा रही है. उन के अयूब ख़ान.जैसे हजारो उदहारण एससी, एसटी और ओबीसी के साथ आप को मिलते रहेंगे..
देश में जाति, लिंग और कोम के आधार पर व्यवहार चलता है. देश के कानून और संविधान की धज्जिया शासन, प्रशासन और न्यायतंत्र में उड़ाई जा रही है. उन के अयूब ख़ान.जैसे हजारो उदहारण एससी, एसटी और ओबीसी के साथ आप को मिलते रहेंगे..
Awanit Shukla
मालेगांव केस में क्या हुआ था ? पहले सिमी को आरोपी बताया लोग पकडे गए। फिर हिन्दू एक्सट्रेमिसम (अभिनव भारत ) को आरोपी बनाया, दस साल से खेल जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने मकोका ड्राप करते समय कहा “there is hardly any evidence” (as reported in credible media ) . अब क्या कहे इस देश के जाँच एजेंसियो पर
(अजित साही वरिष्ठ पत्रकार और निष्पक्ष लेखक है, उन्होंने अपने फेसबुक वाल पर यह विचार व्यक्त किये)
(अजित साही वरिष्ठ पत्रकार और निष्पक्ष लेखक है, उन्होंने अपने फेसबुक वाल पर यह विचार व्यक्त किये)
loading…
CITY TIMES