सोशल डायरी ब्यूरो
यूपी चुनाव के नजीते आते ही मायावतीजी और अखिलेश यादव ने EVM में छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए निर्वाचन आयोग से जांच की मांग की थी. मांग करने के बाद निर्वाचन आयोग ने EVM में गड़बड़ी को लेकर कहा था के इन नेताओं के अरोब बेबुनियाद है. और अगर EVM का विरोध करने वाले अगर EVM हैक होने का सबूत देते है तो कारवाई के बारे में सोचा जा सकता है. इसके बाद सोशल मीडिया पर लगातार EVM का विरोध तेजी से जारी रहा लेकिन दिग्गज नेता खामोश नजर आये. उसी समय बीएसपी ने एक नंबर जारी कर EVM के विरोध में समर्थन की मांग की थी. और उक्त नंबर पर लाखो लोगो ने मिस काल देकर अपना समर्थन भी दिया था. उसके बाद उक्त नंबर पर आये समर्थन का क्या हुआ किसीको पता नहीं.
बहन मायावती ने हर महीने EVM के विरोध में आन्दोलन करने की घोषणा की है. लेकिन उस घोषणा का विरोध लाखो लोगो ने किया. लोगो का मानना है की सांप निकल जाने के बाद लाठी पटकने से क्या फायदा. बीजेपी के चौंकाने वाले निर्णय के बाद योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया. मुख्यमंत्री शपथ समारोह में अखिलेश और मुलायम नजर आये. और मुलायम का मोदीजी के कान में फुसफुसाने को लेकर सोशल मीडिया में हंगामा मचा. लोग बोले अखिलेश, मुलायम सभी बीजेपी के एजंट है. उसके बाद अखिलेश का EVM विरोध कम होता गया. गौरतलब है की, मध्य प्रदेश में हाल ही में हुए EVM डेमो के दौरान किसी भी पार्टी को वोट करने पर मशीने कमल ही उगलने लगी थी. इस मामले में चुनाव आयोग ने करीब 19 अधिकारियों को हटाया.और जांच के आदेश दिए.
इतना बड़ा पुख्ता सबूत मिलने के बावजूद बहन मायावती और अखिलेश यादव की खामोशी सवालिया निशान बनकर रह गयी है. दैनिक सोशल डायरी की और से अपील की जाती है की, EVM और EVM विरोधी नेताओं की खामोशी के बारे में अपनी प्रतिक्रया जरुर दीजिये. अगले अंक में हम उसका विश्लेषण प्रकाशित करेंगे – सम्पादक
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