UP: ना मिली एंबुलेंस, कंधे पर पिता ले गया बेटे का शव

यूपी के इटावा में एक बाप के अपने बेटे की बॉडी को कंधे पर ढोकर ले जाने की तस्वीर ने यूपी में मेडिकल सुविधाओं की पोल खोल दी है. इटावा के 45 वर्षीय उदयवीर अपने 15 साल के बेटे को अपने कंधे पर ढोकर अस्पताल ले गए. उन्हें न तो स्ट्रेचर की सुविधा मिली और न ही एंबुलेंस. 

उदयवीर की बेबसी ने ओडिशा के दाना मांझी की याद दिला दी , जो अपनी पत्नी के शव को अस्पताल से 10 किलोमीटर तक कंधे पर ढोते हुए ले गए थे… ये कहानी देश भर के हिस्से में दोहराई जा रही है.

पेशे से मजदूर उदयवीर ने कहा कि डॉक्टरों ने उनके बेटे पुष्पेंद्र का इलाज करने से मना कर दिया. बता दें कि इटावा का सरकारी अस्पताल यूपी के बेहतरीन अस्पतालों में से एक माना जाता है.

उदयवीर ने कहा, ‘डॉक्टरों ने कहा कि उनके बेटे में कुछ नहीं बचा है… उसके पैरों में बस दर्द था. डॉक्टरों ने कुछ मिनट देखा और फिर उसे ले जाने को कह दिया.’
यूपी में फ्री है एंबुलेंस सेवा
इलाज के लिए परेशान उदयवीर बेटे को दो बार गांव से 7 किमी दूर अस्पताल ले गए, लेकिन डॉक्टरों ने न तो उन्हें एंबुलेंस की सुविधा ऑफर की और न ही उसका इलाज किया. बता दें कि गरीबों के लिए यूपी में एंबुलेंस सेवा फ्री है.

Shoppersstop CPV

इसके बाद उदयवीर को बेटे के बेजान शरीर को कंधे पर लादे अस्पताल से बाहर जाते देखा गया. इस बीच किसी ने मोबाइल फोन से उदयवीर का वीडियो बना लिया. बाद में उसे बाइक से घर ले जाया गया. उदयवीर ने कहा कि किसी ने मुझे नहीं बताया कि बेटे की बॉडी को घर ले जाने के लिए एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध है.

जिले के शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारी ने घटना को शर्मनाक बताया. उन्होंने कहा कि लड़के को सोमवार को दोपहर अस्पताल लाया गया, जब उसकी मौत हो गई थी.

‘अस्पताल की प्रतिष्ठा को धक्का… एक्शन होगा’
चीफ मेडिकल ऑफिसर राजीव यादव ने कहा, ‘मुझे बताया गया कि डॉक्टर्स उस समय एक एक्सीडेंट केस में बिजी थे, लिहाजा वे उदयवीर से यह नहीं पूछ पाए कि बॉडी को ले जाने के लिए एंबुलेंस या ट्रांसपोर्ट की जरूरत है कि नहीं.. उन्होंने कहा कि कुछ भी हो.. इस मामले में एक्शन लिया जाएगा, क्योंकि इस घटना से अस्पताल की प्रतिष्ठा को धक्का लगा है और गलती हमारी है.

बता दें कि उसी दिन इसी प्रकार की एक घटना कर्नाटक के अस्पताल में हुई, जहां एक पिता अपने तीन साल के बच्चे को बांहों में लिए इंतजार करता रहा और बाद में उसे दोपहिया पर घर ले गया. अस्पताल प्रशासन ने न तो उसे एंबुलेंस के बारे में बताया और न ही उसकी मदद की.

पिछले साल अगस्त महीने में ओड़िशा से दिल दहला देने वाली घटना सामने आई थी. जहां दाना मांझी को अपनी पत्नी के शव को कंधे पर ले जाना पड़ा क्योंकि अस्पताल में एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध नहीं थी. मांझी के साथ उनकी बिटिया भी पैदल चल रही थी और उसके चेहरे पर दुख और बेबसी के आंसू थे.

Shoppersstop CPV

CITY TIMES

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Cart

Your Cart is Empty

Back To Shop