तीन तलाक़ पर फैसले के बाद भाजपा उम्मीदों पर फिरा पानी

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सुप्रिम कोर्ट नें मंगलवार को तीन तलाक पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया, अदालत ने एक साथ तीन तलाक पर छ महीने के लिये प्रतिबंध लगा दिया और सरकार को आदेश दिया कि वह छ महीने के अंदर संसद में कानून बनाये। तीन तलाक का मुद्दा कई महीनों से मीडिया में रहा है। कई टीवी चैनलों ने तो हलाला के नाम पर फर्जी स्टिंग ऑपरेशन तक करके लोगों को भ्रमित किया है।

तीन तलाक पर सुप्रिम कोर्ट के फैसे पर भले ही मोदी सरकार को श्रेय देने की होड़ मच गई हो लेकिन सच्चाई यह है कि सुप्रिम कोर्ट ने भाजपा की भविष्य की कई योजनाओँ पर पानी फेर दिया है। मीडिया भले ही ‘मुस्लिम महिलाओं के के मोदी भाई जान’ स्लग लगाकर सरकार की वाह वाही लेना चाह रहे हो, लेकिन ये पांच सवाल भाजपा की सारी उम्मीद पर पानी फेरने के लिये काफी हैं। ये वे सवाल हैं जिनका हल भाजपा चाहती थी मगर इनमें से एक भी सवाल से उसे संतुष्टी नहीं मिली।

1- बीजेपी की मंशा थी कि तीन तलाक के बहाने पर्सनल लॉ में बदलाव हो। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इससे इनकार किया।

2- बीजेपी तीन तलाक को पूरी तरह से खत्म करवाकर कॉमन सिविल कोड की संभावनाएं देख रही थी, लेकिन उसके अरमानों पर पानी फिर गया है। क्येंकि कोर्ट संवैधानिक अधिकारों में बदलाव नहीं किया।

3- तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट ने खत्म नहीं किया बल्कि एक बार में तीन तलाक को खत्म किया है। यानी तलाक वैलिड है। पर्सनल लॉ का अधिकार अभी भी जारी है।

4- लॉ कमिशन का क्लियर कहना है कि धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं। यानी पर्सनल लॉ में बदलाव नहीं हो सकता है।

5- सुप्रीम कोर्ट का फैसला साफ साफ कह रहा है कि बीजेपी के कॉमन सिविल कोड की जो संभावनाएं है, वह कानूनी तौर पर स्वीकार नहीं हो सकता है।….

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