“मोब लिंचिंग” के मुकदमे को कमजोर कर रही है योगी की पुलिस : रिहाई मंच

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शाहजहांपुर जिले के जलालाबाद में गौसनगर मुहल्ले के नबी अहमद, जिनकी पिछले दिनों साइकिल और बाइक से हुई टक्कर के बाद भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई थी, के परिजनों से मुलाकात की…शाहजहांपुर जिले के जलालाबाद में गौसनगर मुहल्ले के नबी अहमद, जिनकी पिछले दिनों साइकिल और बाइक से हुई टक्कर के बाद भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई थी, के परिजनों से मुलाकात की। अवामी काउंसिल के असद हयात, रिहाई मंच के राजीव यादव और स्थानीय मोहम्मद कादिर ने मृतक नबी अहमद के साथ भीड़ की हिंसा के शिकार घायल अज़मत उल्लाह से भी मुलाकात की।

रिहाई मंच की विज्ञप्ति में कहा गया है –

साठ वर्षीय नबी अहमद पुत्र सलामत जलालाबाद के गौसनगर के रहने वाले थे। इस मोहल्ले के ज्यादातर लोग बिहार, हरियाणा, राजस्थान अन्य राज्यों में जाकर खेतीबाड़ी का काम करते हैं।

नबी बिहार के सीतामढ़ी में जाकर खेतीबाड़ी का काम करते थे। 19 सितंबर की शाम 6 बजे के तकरीबन नबी अहमद, अजमत उल्लाह के साथ एक रिश्तेदारी से मोटर साईकिल से आ रहे थे। मदनापुर के आगे बढ़े ही थे कि अतिबरा गांव के पास पाइप लदी एक साइकिल से टकरा गए।

साइकिल वाले सुनील ने तुरंत आवाज दी औऱ कुछ दूर खड़े लोग तुरंत आ गए और लाठी डंडे लात घूसों से मारना पीटना शुरू कर दिया और भीड़ तमाशाई देखती रही। परिजनों का कहना है कि नबी और अज़मत दोनों की लंबी दाढ़ी देख भीड़ समझ गई कि वे मुसलमान हैं और बहुत बुरी तरह से मारा पीटा।

सुनील पुत्र ध्यान पाल कलान शाहजहांपुर का रहने वाला है जिसकी ससुराल बताया जा रहा है कि अतिबरा गांव में है। घटना के बाद 108 एम्बुलेंस से नगरिया अस्पताल जलालाबाद लाया गया जहां से रेफर कर दिया गया। इसके बाद शाहजहांपुर अस्पताल लाया गया वहां से भी रेफर कर दिया। अंत में बरेली में देर रात नबी अहमद की मौत हो गई।

नबी के सात लड़के, दो लड़कियां हैं। दो लड़के और एक लड़की की शादी हुई है।

नबी अहमद के बेटे सगीर अहमद, पड़ोसी परवेज, शरीफ अहमद, मोहम्मद यासीन बताते हैं कि भीड़ ने इतनी बुरी तरह से मारा था कि उनकी पसलियां बुरी तरह से टूट गई थीं। सर से लेकर पाव तक जगह-जगह से खून निकल रहा था और गंभीर चोटों के जख्म के निशान थे, जिसे पोस्टमॉर्टम में देखा जा सकता है। छाती, माथे, हाथ-पैर, कोहनियों और घुटनों पर गहरे जख्म थे। पर इतनी बड़ी घटना जिसमें एक आदमी की मौत हो जाती है दूसरा गंभीर स्थिति में चला जाता है उसमें घटना के दस दिनों बाद भी गिरफ्तारी नहीं होती है।

परिजनों का आरोप है कि पुलिस 304 में मुकदमा दर्ज कर इस संगठित हत्या के मुकदमे को कमजोर कर आरोपियों की मदद कर रही है। उन्होंने ये भी कहा कि जिस तहरीर को लेकर पुलिस के पास वे दर्ज कराने के लिए गए थे उसे दर्ज करने से पुलिस ने इनकार कर दिया। और अपनी मर्जी से कमजोर तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया।

नबी अहमद के साथ जा रहे पचपन वर्षीय अजमत उल्लाह पुत्र सलीम उल्लाह भी राजस्थान में सब्जी का काम करते हैं।

अजमत अपने घर पर खाट पर पड़े-पड़े सीने, पसलियों, घुटने में लगी गंभीर चोटों के दर्द से कराह रहे थे। उनके दर्द की वजह से ज्यादा बात नहीं हो सकी पर उन्होंने बताया कि उस दिन उन लोगों ने लाठी-डंडे से हमला किया और जमीन पर गिर जाने पर लात-घूसों से बुरी तरह पीटा।

अज़मत के चार लड़के और तीन लड़कियां हैं जिसमें एक लड़के और एक लड़की की शादी हो चुकी है।

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