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मोहनलालगंज के गांव बलसिंह खेड़ा के प्राथमिक विद्यालय में एक महिला की नग्न लाश मिली। लाश के आस-पास जमीन पर बिखरा खून हैवानियत की सारी हदों को तोड़ने की गवाही दे रहा था। साफ लग रहा था कि महिला ने मरने से पहले एक से ज्यादा लोगों के साथ मुकाबला जरूर किया होगा, लेकिन वह अकेले दरिंदों से कब तक मुकाबला करती। दरिंदों ने जिस बेरहमी से महिला के साथ गैंग रेप के बाद कत्ल किया, पुलिस की संवेदनहीनता उससे कम बेरहम नहीं रही।
अपने कातिलों से जूझने वाली बहादुर महिला के पार्थिव शरीर पर दो गज कपड़ा डालने की जगह कई जिम्मेदार लोग मोबाइल से उसकी तस्वीर खींचने में जुटे थे।
सायद लड़की इस आस में मुकाबला करती रही, की खड़ी मर्दानी भीड़ की इंसानियत या मर्दानगी जाग जाये, पर ऐसा नहीं हुआ, लोग काफी मसगुल थे इसके वीडियो, और फोटोज बनाने में. क्यूंकि वो इनकी बहन, बेटी या इज़्ज़त नहीं थी.
किसी मीडिया ने इसे नहीं दिखाया, किसी अधिकारियों ने संज्ञान नहीं लिया.
जरा गौर करिये एक बार आँखे बंद करिये और महसूस करिये उस पीड़ा को, जब उसके साथ दरिंदगी की जा रही होगी, उसके कपड़े फाडे जा रहे होंगे और वो लड़ने की कोशिस कर रही होगी और लगातार निर्वस्त्र होते जा रही होगी 50 लोगो के सामने. सायद आप एक अचे समाज से है तो अपने बहन को कपड़े भी एक कमरे में बंद हो करने का ही शिक्षा देते होंगे. पर इस बहन का क्या ?
जरा गौर करिये एक बार आँखे बंद करिये और महसूस करिये उस पीड़ा को, जब उसके साथ दरिंदगी की जा रही होगी, उसके कपड़े फाडे जा रहे होंगे और वो लड़ने की कोशिस कर रही होगी और लगातार निर्वस्त्र होते जा रही होगी 50 लोगो के सामने. सायद आप एक अचे समाज से है तो अपने बहन को कपड़े भी एक कमरे में बंद हो करने का ही शिक्षा देते होंगे. पर इस बहन का क्या ?
गलती से कभी हाथ काट जाये तो कितना दर्द होता है ? महसूस नहीं कर पाएंगे, शरीर के उस पार्ट पर जब हैवान लगातार छुरिया चलाये जा रहे थे, उस पर क्या बीत रही होगी, वो भीड़ में नंग हो रही लड़की और कही उस से ज्यादा नग्न थी खड़ी वहा की भीड़. फिर पथरो से कुछ कुछ कर उसका चेहरा और लहू लुहान वो जगह, ये तस्वीरें वो दर्द बया कर सकती है.
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