RSS चाहता है मुसलमानों को मुख्यधारा से अलग करके दोयम दर्जे का नागरिक बना दिया जाए इसी लिए वह मुसलमानों से वोट देने का अधिकार भी छीन लेना चाहता है । मगर देश सेक्युलर ढांचे में ये काम इतना आसान नहीं है इसी लिए उसने कुछ ईमानफरोसों की मंडली तय्यार की जो दाढ़ी टोपी लगाकर हमारे बीच रहते हैं, बज़ाहिर अल्ला अल्ला करते हैं और हमारे नवजवानों को ज़हनी तौर पे कुंद बनाते हैं । ये फर्जी लोग वो काम करते हैं जो RSS और भाजपा नहीं कर पाती । ये लोगों के दिमाग़ के साथ इस तरह खेलते हैं कि बंदे को आत्मविश्वास उसकी खुद्दारी उसकी बहादुरी सब छीन लेते हैं । ये लोग इस तरह ब्रेनवाश करते हैं कि इनके शिक़ार लोग बेगुनाह होकर भी अपराधबोध महसूस करते हैं, इनके शिक़ार लोगों पे चाहे जितना भी जुल्म हो जाए पर वे उफ नहीं करते उसे अल्लाह की मर्जी और अपने आमाल की ख़राबी मानते हैं । ये वही लोग हैं जो कुछ साल पहले तक पोलियो ड्रॉप पिलाने से मना करते थे, ये वही लोग हैं जो हिंदी इंग्लिश पढ़ने से रोकते थे । इसका नतीज़ा ये हुआ आज देश पोलियोग्रस्त मुसलमानों का प्रतिशत सार्वधिक है, इसका नतीज़ा ये हुआ कि हिंदी इंग्लिश न पढ़ पाने के कारण मुसलमान सरकारी संस्थानों में न के बराबर हो गए, हिंदी इंग्लिश न जानने के कारण अपने ही शहर और मुहल्ले में कहीं दूर ग्रह से आए एलियन लगने लगे ।
इस तरह एक पूर्व योजना के तहत मुसलमानों को शिक्षा से वंचित किया गया और फिर सेवा से वंचित किया गया आज हालत यह है मुसलमानों का जिक्र बड़ी नफरत के साथ किया जाता है मगर उस पर भी तुर्रा यह है कि अगर हम इस नफरत के खिलाफ खड़े हो जाएं यही फर्जी लोग जो आज तक हमें बरगलाते आए हैं वह फिर आकर खड़े हो जाते हैं भाई सब छोड़िए अपना आमाल दुरुस्त कीजिए । अगर मैं ये कहूँ कि RSS और भाजपा से घातक हमारे आपके बीच घुसे यही ईमानफरोस लोग हैं तो आपको ऐतराज़ नहीं होना चाहिए । देवबंदी तबक ए फिक्र के मशहूर आलिम जनाब अली मियाँ नदवीं साहब फरमाते हैं कि तुम भले ही मुसलमानों को तहज्जुद गुज़ार बना दो पर उनके हालात तब तक नहीं सुधरेंगे जबतक उनमें राजनैतिक चेतना नहीं आयेगी । मैं अली मियाँ नदवीं साहब सल्यूट करता हूँ अल्लाह उनका मर्तबा और बलंद करे, और उनपर लानत भेजता हूँ जो मुसलमानों को सिर्फ मुसल्ले तक महदूद करने में लगे हैं ।
मैं आप सभी लोगों से गुजारिश करता हूं कि हर दाढ़ी टोपी वाले को मुसलमान न समझें उस पर ऐतबार ना करें उसकी हर बात को शरीयत न समझें । अपने बीच छुपे ऐसे मुनाफिकों को पहचानिए और उनसे दूर रहिए यह मुनाफ़िक़ बहुत ही घातक है । यह लोग आप को उस हर चीज से रोकेंगे जिससे आप में वेदारी आती है । मिसाल के तौर पर पहले आपको माइक के खिलाफ भड़काया गया फिर रेडियो के खिलाफ भड़काया गया फिर TV को हराम करार दिया गया इन सब का नतीजा आपके सामने है आज भी हजारों घर हजारों परिवार ऐसे हैं जो टीवी और टेप का इस्तेमाल गैर शरई समझते हैं । TV ना देखने वाले लोग नहीं जानते हमारे ही देश में हमारे खिलाफ किस तरह का प्रोपेगंडा चलाया जा रहा है, TV ना देखने वाले लोग यह भी नहीं जान पाते कि उनके देश का प्रधानमंत्री कौन है मुख्यमंत्री कौन है उसकी नीतियां क्या है और किसके हक़ में है । जिन घरों में टीवी नहीं है उनके बच्चों को यह भी नहीं पता डिस्कवरी क्या है । कायदे से देखा जाए तो आज बिना माइक के नमाज भी नहीं होती बल्कि कहीं-कहीं तो मस्जिदों के माइक ही मसअला बन गए हैं, कायदे से देखा जाए तो आज हर मौलाना TV पर बयान देते हुए दिखना चाहता है चाहे उसे बोलना आता हो या ना आता हो । तस्वीर खिंचाना हराम है मगर आज सब की ख्वाहिश है कि अखबार के एक कोने में उनकी भी तस्वीर छप जाए ।
मौलाना Hasan अहमद कहते हैं कि मुजफ्फर नगर दंगों के समय एक इंसान को ज़िंदा ही पकड़ कर आरा मशीन से काटा गया और उसका बेटा डर के मारे टॉयलेट में छिपा देखता रहा मगर बाप को बचाने नहीं आया। मगर मैं कहता हूँ वो डरा सहमा बिलकुल नहीं था बल्कि उसके दिमाग़ में भी यही गोबर भरा था कि जो कुछ होता है अल्लाह की मर्जी से होता है, उसके दिमाग़ यही भरा गया था जालिम का जुल्म अल्लाह की मर्जी है और आजमाइश है इसी लिए वह बाप कटते देखता रहा और अल्लाह अल्लाह करता रहा ।
उपरोक्त सारी निशानियों के अलावा भी आज के मुनाफ़कीन की कुछ और निशानियाँ हैं । आज के मुनाफकीन यही काम फेसबुक पे बड़े ज़ोर शोर से कर रहे हैं, वै भी उसी तरह आपके दिमाग़ में भर रहे हैं कि मेरठ मलियाना में 48 मुसलमानों को मारने वाले हाथ भले ही किसी सरकारी अफसर के थे मगर मर्जी अल्लाह की थी । उन मुनाफिकों का मानना है गुजरात गोधरा मुजफ्फर नगर के दंगाई को भले ही सरकारी महकमों ने मदत की हो मगर मर्जी अल्लाह की थी । भले बेगुनाहों को आतंकी बनाकर जेल में ठूंसने वाला सरकारी अॉफिसर हो भले ही फर्जी एनकाउंटर करने वाला सरकारी अॉफिसर हो मगर इसका जिम्मेदार पीड़ितों का आमाल है ।
इतने सारे तर्क़ इतनी दलीलें वो मुनाफिक सिर्फ इस लिए देता है ताकि आप में बेदारी न आए आप हर ज़ोर जुल्म सितम सहते रहें पर उफ न करें एहतजाज़ न करें । वह ये सब गोबर आमाल के नाम पर इसलिए भी फैला रहा है ताकि आप मोदी योगी के खिलाफ एक लफ्ज़ न लिखें न बोलें । इसी सोच का नतीज़ा है कि आज अगर हिंदुस्तान में मुसलमानों से नागरिकता भी छीन ली जाए तब भी वह सड़कों पे नहीं उतरता । इसी सोच ने मुसलमानों को इस तरह कुंद कर दिया है कि दुनियाँ की दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी होने के बावजूद हिंदुस्तान में कहीं कोई हरारत महसूस नहीं होती । ये सोच इतनी घातक है कि मुसलमान सारी परीशानियों से छुटकारा पाने के लिए या तो मज़ारों पे मुराद मांगने चला जाता है या चालीस दिन के छिल्ले में चला जाता है । उन्हीं मज़ारों पे से उसी तब्लीगी काफ़िले में से पकड़ कर आतंकवादी बना दिया जाता है मार दिया जाता है पर न तो वह मौलाना से सवाल करता है न कभी सड़क पे उतरकर एहतजाज़ करता है ।
नोट- रोज़ा नमाज़ हज जक़ात यह सब हुकूकुल्लाह और इससे इनकार करना कुफ्र है मगर इसका मतलब ये हरगिज़ नहीं कि आप सिर्फ मुसल्ले तक महदूद हो जायें, इसका मतलब ये हरगिज़ नहीं कि आप सच को सच और झूठ को झूठ न कहें जुल्म सितम सहें उफ न करें ।
अबरार खान की फेसबुक वाल से ….
अबरार खान की फेसबुक वाल से ….
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